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नेकी की दीवार

एक दिन एक महिला ने अपनी किचन से सभी पुराने बर्तन निकाले। पुराने डिब्बे, प्लास्टिक के डिब्बे,पुराने डोंगे,कटोरियां,प्याले और थालियां आदि। सब कुछ काफी पुराना हो चुका था। फिर सभी पुराने बर्तन उसने एक कोने में रख दिए और बाजार से नए लाए हुए बर्तन करीने से रखकर सजा दिए। बड़ा ही पॉश लग रहा था अब उसका किचन। फिर वो सोचने लगी कि अब ये पुराना सामान भंगारवाले‌ को दे दिया जाए तो समझो हो गया काम ,साथ ही सिरदर्द भी ख़तम औऱ सफाई का सफाई भी हो जाएगी । इतने में उस महिला की कामवाली आ गई। दुपट्टा खोंसकर वो फर्श साफ करने ही वाली थी कि उसकी नजर कोने में पड़े हुए पुराने बर्तनों पर गई और बोली- बाप रे! मैडम आज इतने सारे बर्तन घिसने होंगे क्या? और फिर उसका चेहरा जरा तनावग्रस्त हो गया। महिला बोली-अरी नहीं!ये सब तो भंगारवाले को देने हैं...सब बेकार हैं मेरे लिए । कामवाली ने जब ये सुना तो उसकी आंखें एक आशा से चमक उठीं और फिर चहक कर बोली- मैडम! अगर आपको ऐतराज ना हो तो ये एक पतीला मैं ले लूं?(साथ ही साथ उसकी आंखों के सामने उसके घर में पड़ा हुआ उसका इकलौता टूटा पतीला नजर आ रहा था) महिला बोली- अरी एक क्यों! जितने भी उस

सुबह की ताजगी और राष्ट्रीय पक्षी का नृत्य

ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है की आप छत पर सो कर उठो और आपके सामने सुंदरता से पंख फैलाये राष्ट्रीय पक्षी मोर का नृत्य देखने को मिले, देखकर ऐसा लगता जैसे सावन के महीने का एहसास हो, आसमान में हल्के बादल और ठंडी हवा इन पक्षियों को पंख फ़ैलाने के लिए विवश कर देती है, ये पंक्षी अक्सर झाडिओं, जंगलो या फिर पेड़ के नीचे नृत्य करते हैं इनके साथ कुछ मादाएं मोरनी भी होती हैं जो चारो तरफ घूमती हैं जैसे किसी के आने का एहसास देखती हो | आपके साथ एक वीडियो शेयर कर रहा हूँ आप इनका नृत्य देख सकते हैं...

पंख के साथ इन पंक्षियों को उड़ता देख ऐसा लगता जैसे छोटा सा जहाज उड़ता हुआ गया हो, ये पंक्षी ज्यादा ऊपर और दूर तक उड़ान भी नहीं भर पाते हैं और गावों में इन्हे कुत्तो और बिल्लियों से भी डर लगा रहता है इसीलिए ये पंक्षी जंगलों और खेतो में दिखाई देते हैं, जब धान कि रोपाई ख़त्म होती है तो ये उन खेतो में कीड़े-मकौड़ो कि तलाश में जाया करते हैं, इन पंक्षियों के पंख जब पुराने हो जाते तो गिरना शुरू हो जाते हैं जहां-जहां ये नृत्य करते कहीं पर २ -३ तो कहीं पर कुछ ज्यादा धीरे धीरे करके सभी पंख गिर जाते और फिर से नए पंख आना भी शुरू हो जाते हैं, गांव के बच्चे इनके पंख को अपने किताबों में रखना पसंद करते और घरो में रखना भी शुभ मानते हैं |


मेरे घर के पास में ही एक तालाब और उसमे ढेर सारे पेड़ पौधों से भरा हुआ एक घने जंगल की तरह दिखाई देता है दिन भर पक्षिओं की आवाजों से गूँजता हुआ, कभी ८ से १० मोरों का झुण्ड में एक साथ आवाज निकालना तो कभी कोयल की मधुर आवाज तो पक्षिओं और चिडिओं की ढेर सारी आवाजे एक साथ आती हैं और साथ में हवा के साथ झूमते पेड़ और बांस की सरसराहट की आवाज ऐसा लगता मनो डरावनी फिल्म का कोई दृस्य चल रहा हो पर यहां गावों में ऐसा आम है | यहां का रात का माहौल इतना शांत होता है कि अगर आप चाहो तो ध्यान लगाकर दूर-दूर तक सन्नाटे को महसूस कर सकते हैं, यहां लोग जल्दी ही खाना खाकर लगभग १० बजे तक सभी सो जाते क्यों कि सुबह ४ बजे ही उठना भी होता हैं |


घर के पास में जंगल होने और मेरे घर पर ढ़ेर सारे पेड पौधों कि के वजह से ये शायद आना पसंद करते और छत पर जाकर रोज सुबह और शाम ये नृत्य करते हैं इनका रोज का आना देख कर हम लोग भी छत पर दाने और पानी रख देते, पहले ये आकर उसे चुगते और फिर अपना जैसे नृत्य का काम खत्म करके चले जाते हैं, और अब धीरे धीरे इनका डर भी काफी कम हो गया है क्यों कि पहले हम लोग वीडियो बनाने के लिए चुपके से पास जाते तो उड़ जाते थे अब जैसे खुद इन्हे कमरे में कैद करवाना पसंद आ गया हो |

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