एक दिन एक महिला ने अपनी किचन से सभी पुराने बर्तन निकाले। पुराने डिब्बे, प्लास्टिक के डिब्बे,पुराने डोंगे,कटोरियां,प्याले और थालियां आदि। सब कुछ काफी पुराना हो चुका था। फिर सभी पुराने बर्तन उसने एक कोने में रख दिए और बाजार से नए लाए हुए बर्तन करीने से रखकर सजा दिए। बड़ा ही पॉश लग रहा था अब उसका किचन। फिर वो सोचने लगी कि अब ये पुराना सामान भंगारवाले को दे दिया जाए तो समझो हो गया काम ,साथ ही सिरदर्द भी ख़तम औऱ सफाई का सफाई भी हो जाएगी । इतने में उस महिला की कामवाली आ गई। दुपट्टा खोंसकर वो फर्श साफ करने ही वाली थी कि उसकी नजर कोने में पड़े हुए पुराने बर्तनों पर गई और बोली- बाप रे! मैडम आज इतने सारे बर्तन घिसने होंगे क्या? और फिर उसका चेहरा जरा तनावग्रस्त हो गया। महिला बोली-अरी नहीं!ये सब तो भंगारवाले को देने हैं...सब बेकार हैं मेरे लिए । कामवाली ने जब ये सुना तो उसकी आंखें एक आशा से चमक उठीं और फिर चहक कर बोली- मैडम! अगर आपको ऐतराज ना हो तो ये एक पतीला मैं ले लूं?(साथ ही साथ उसकी आंखों के सामने उसके घर में पड़ा हुआ उसका इकलौता टूटा पतीला नजर आ रहा था) महिला बोली- अरी एक क्यों! जितने भी उस
मित्रो ये टेप प्लेयर पर्सनल गाड़ी बसों में लगा हुआ करता था। जिससे सफर करने वाले यात्रियों का संगीत सुनते सुनते यात्रा समय कट जाता था। इस टेप प्लेयर में ऑडियो कैसेट को साइड ए से साइड बी में चेंज करने की समस्या नहीं रहती थी क्योंकि इसमें ऑटोमेटिक साइड बदलने का सिस्टम होता था। समय के साथ सब बदल गया इनके बाद टीवी व सीडी डीवीडी प्लेयर बसों में लगे, कुछ समय तक मेमोरी कार्ड पेनड्राइव का भी यूज हुआ। मोबाइल व इंटरनेट क्रांति आने के बाद ये सब सभी गाड़ी बसों से गायब हो गए।😊