एक दिन एक महिला ने अपनी किचन से सभी पुराने बर्तन निकाले। पुराने डिब्बे, प्लास्टिक के डिब्बे,पुराने डोंगे,कटोरियां,प्याले और थालियां आदि। सब कुछ काफी पुराना हो चुका था। फिर सभी पुराने बर्तन उसने एक कोने में रख दिए और बाजार से नए लाए हुए बर्तन करीने से रखकर सजा दिए। बड़ा ही पॉश लग रहा था अब उसका किचन। फिर वो सोचने लगी कि अब ये पुराना सामान भंगारवाले को दे दिया जाए तो समझो हो गया काम ,साथ ही सिरदर्द भी ख़तम औऱ सफाई का सफाई भी हो जाएगी । इतने में उस महिला की कामवाली आ गई। दुपट्टा खोंसकर वो फर्श साफ करने ही वाली थी कि उसकी नजर कोने में पड़े हुए पुराने बर्तनों पर गई और बोली- बाप रे! मैडम आज इतने सारे बर्तन घिसने होंगे क्या? और फिर उसका चेहरा जरा तनावग्रस्त हो गया। महिला बोली-अरी नहीं!ये सब तो भंगारवाले को देने हैं...सब बेकार हैं मेरे लिए । कामवाली ने जब ये सुना तो उसकी आंखें एक आशा से चमक उठीं और फिर चहक कर बोली- मैडम! अगर आपको ऐतराज ना हो तो ये एक पतीला मैं ले लूं?(साथ ही साथ उसकी आंखों के सामने उसके घर में पड़ा हुआ उसका इकलौता टूटा पतीला नजर आ रहा था) महिला बोली- अरी एक क्यों! जितने भी उस
लॉकडाउन के करीब ३ महीने बाद प्रयागराज जाने को मिला, घूमने का नाम सुन कर ही जैसे मेरे शरीर में फुर्ती सी आ गयी हो क्यों कि नोएडा में लगभग दो महीनो से ज्यादा तो रूम में ही बंद पड़े रहे बाहर की सड़क भी न देखने को मिली उसके बाद फिर घर, अब अगर घर आ गए हो तो भूल ही जाओ घूमना जब तक कि कोई काम न पड़े | प्रयागराज (इलाहाबाद) जाने का सफर तो काफी अच्छा रहा कुछ ही घंटो के सफर में मौसम के सारे रंग देखने को मिल गए जैसे धूप और घिरे हुए घने बादल के साथ ठंडी-ठंडी हवा और हल्की और फिर तेज बारिश, रविवार का दिन करीब २ बजे घर से निकल पड़े, घर से निकलने पर तो तेज धूप थी पर २ बजे निकले थे तो सोचा कि आते समय रात तो हो ही जाएगी सफर का मजा तो आएगा | घर से तो निकले थे कैंटीन से सामान लेने पर वहां पहुंचने पर पता चला वो तो बंद है | प्रयागराज में लगभग सभी कैंटीन के चक्कर काटने पर पता चला कि लॉकडाउन में आपको सुबह ही आना पड़ेगा और फिर सामान कि लिस्ट देकर शाम तक इन्तजार करना पड़ेगा मतलब एक दिन पूरा चला जायेगा हम लोग शाम के ३:३० बजे प्रयागराज पहुंचे और सभी कैंटीन के चक्कर काटते-काटते ५ बजे गए उसके बाद फिर आया सबसे जरूरी काम, ड