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Showing posts from May, 2020

नेकी की दीवार

एक दिन एक महिला ने अपनी किचन से सभी पुराने बर्तन निकाले। पुराने डिब्बे, प्लास्टिक के डिब्बे,पुराने डोंगे,कटोरियां,प्याले और थालियां आदि। सब कुछ काफी पुराना हो चुका था। फिर सभी पुराने बर्तन उसने एक कोने में रख दिए और बाजार से नए लाए हुए बर्तन करीने से रखकर सजा दिए। बड़ा ही पॉश लग रहा था अब उसका किचन। फिर वो सोचने लगी कि अब ये पुराना सामान भंगारवाले‌ को दे दिया जाए तो समझो हो गया काम ,साथ ही सिरदर्द भी ख़तम औऱ सफाई का सफाई भी हो जाएगी । इतने में उस महिला की कामवाली आ गई। दुपट्टा खोंसकर वो फर्श साफ करने ही वाली थी कि उसकी नजर कोने में पड़े हुए पुराने बर्तनों पर गई और बोली- बाप रे! मैडम आज इतने सारे बर्तन घिसने होंगे क्या? और फिर उसका चेहरा जरा तनावग्रस्त हो गया। महिला बोली-अरी नहीं!ये सब तो भंगारवाले को देने हैं...सब बेकार हैं मेरे लिए । कामवाली ने जब ये सुना तो उसकी आंखें एक आशा से चमक उठीं और फिर चहक कर बोली- मैडम! अगर आपको ऐतराज ना हो तो ये एक पतीला मैं ले लूं?(साथ ही साथ उसकी आंखों के सामने उसके घर में पड़ा हुआ उसका इकलौता टूटा पतीला नजर आ रहा था) महिला बोली- अरी एक क्यों! जितने भी उस

सुबह की ताजगी और राष्ट्रीय पक्षी का नृत्य

ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है की आप छत पर सो कर उठो और आपके सामने सुंदरता से पंख फैलाये राष्ट्रीय पक्षी मोर का नृत्य देखने को मिले, देखकर ऐसा लगता जैसे सावन के महीने का एहसास हो, आसमान में हल्के बादल और ठंडी हवा इन पक्षियों को पंख फ़ैलाने के लिए विवश कर देती है, ये पंक्षी अक्सर झाडिओं, जंगलो या फिर पेड़ के नीचे नृत्य करते हैं इनके साथ कुछ मादाएं मोरनी भी होती हैं जो चारो तरफ घूमती हैं जैसे किसी के आने का एहसास देखती हो | आपके साथ एक वीडियो शेयर कर रहा हूँ आप इनका नृत्य देख सकते हैं... पंख के साथ इन पंक्षियों को उड़ता देख ऐसा लगता जैसे छोटा सा जहाज उड़ता हुआ गया हो, ये पंक्षी ज्यादा ऊपर और दूर तक उड़ान भी नहीं भर पाते हैं और गावों में इन्हे कुत्तो और बिल्लियों से भी डर लगा रहता है इसीलिए ये पंक्षी जंगलों और खेतो में दिखाई देते हैं, जब धान कि रोपाई ख़त्म होती है तो ये उन खेतो में कीड़े-मकौड़ो कि तलाश में जाया करते हैं, इन पंक्षियों के पंख जब पुराने हो जाते तो गिरना शुरू हो जाते हैं जहां-जहां ये नृत्य करते कहीं पर २ -३ तो कहीं पर कुछ ज्यादा धीरे धीरे करके सभी पंख गिर जाते और फिर से नए पंख आना

गांव की एक सुबह ऐसी भी

गांव का वातावरण बहुत ही साफ स्वच्छ और शांत होता हैं क्यों की यहां प्रदूषण करने वाले ज्यादा साधन नहीं होते शहरों की तरह | लोग सुबह ही लगभग चार बजे ही उठ जाते है और अपने दिनचर्या में लग जाते हैं, कोई सुबह खेत की तरफ तो कोई दूध काढ़ रहा हैं तो कोई खाने की तैयारी में लगा है, गांव में सभी लोग सुबह सुबह ही अपने सारे कामों को खत्म करने में लगे रहते हैं और सुबह एक दूसरे से मिलने पर 'राम-राम जी' जय राम, हरे कृष्णा , इस तरह बोलते. सुनकर बहुत ही अच्छा लगता है | मै अपने गांव आया इस लॉकडाउन में और १५ दिन तक एक ही रूम में रहने के बाद घर वालों और लोगों से मिलना या बात करना शुरू किया, गांव में रोज सुबह ४ बजे ही नींद खुल जाती है वो भी बिना अलार्म के ही, ४ बजे का अलार्म और उससे पहले उठ कर बंद कर देता कहीं बजने न लगे | गांव में सुबह से ही मजा आता है, बिजली की परेशानी होती है गांव में, बाकि सब अच्छा, सुबह-सुबह उठ कर २ किलोमीटर दौड़ लगाना और व्यायाम करने का मजा ही अलग है वो भी मई के महीने में ठंडी-ठंडी हवा और दूर-दूर तक साफ नजारा पेड पौधों से भरा हुआ, जैसे मन तरसा हुआ हो शहर की सड़को और बिल्डिगों को