एक दिन एक महिला ने अपनी किचन से सभी पुराने बर्तन निकाले। पुराने डिब्बे, प्लास्टिक के डिब्बे,पुराने डोंगे,कटोरियां,प्याले और थालियां आदि। सब कुछ काफी पुराना हो चुका था। फिर सभी पुराने बर्तन उसने एक कोने में रख दिए और बाजार से नए लाए हुए बर्तन करीने से रखकर सजा दिए। बड़ा ही पॉश लग रहा था अब उसका किचन। फिर वो सोचने लगी कि अब ये पुराना सामान भंगारवाले को दे दिया जाए तो समझो हो गया काम ,साथ ही सिरदर्द भी ख़तम औऱ सफाई का सफाई भी हो जाएगी । इतने में उस महिला की कामवाली आ गई। दुपट्टा खोंसकर वो फर्श साफ करने ही वाली थी कि उसकी नजर कोने में पड़े हुए पुराने बर्तनों पर गई और बोली- बाप रे! मैडम आज इतने सारे बर्तन घिसने होंगे क्या? और फिर उसका चेहरा जरा तनावग्रस्त हो गया। महिला बोली-अरी नहीं!ये सब तो भंगारवाले को देने हैं...सब बेकार हैं मेरे लिए । कामवाली ने जब ये सुना तो उसकी आंखें एक आशा से चमक उठीं और फिर चहक कर बोली- मैडम! अगर आपको ऐतराज ना हो तो ये एक पतीला मैं ले लूं?(साथ ही साथ उसकी आंखों के सामने उसके घर में पड़ा हुआ उसका इकलौता टूटा पतीला नजर आ रहा था) महिला बोली- अरी एक क्यों! जितने भी उस
जून के महीने में अगर बारिश हो जाये तो ऐसा लगता मानों किसी ने गर्म तवे पर पानी डाल दिया हो, क्यों की इस महीने में तेज चिलचलाती हुई धूप में धरती का हाल कुछ ऐसा ही होता है | अभी गांव में उड़द और मूँग की फसल तैयार है और इसी महीने में इन पौधों में फल आते है तो इनको पानी की बहुत ज्यादा आवश्यक्ता होती है, और धान की रोपाई से पहले उसके बीज को एक ही खेत में डालना पड़ता फिर थोड़े बड़े हो जाने पर उसको जड़ से उखाड़ कर दूसरे खेतो में रोपाई की जाती है, तो उसके बीज को उगाने के लिए भी पानी की ज्यादा आवश्यक्ता होती है, गांव के लोग नहर के भरोसे या फिर ट्यूवेल के भरोसे होते हैं, गांव में अगर किसी को बिजली के भरोसे खेत की सिंचाई करनी होती है तो उन्हें रात में ही करना पड़ता फिर वो चाहे गर्मी का महीना हो या फिर जनवरी महीने की कड़कड़ाती ठण्ड, क्यों की गांव में बिजली कटौती की समस्या बहुत ज्यादा होती है और रात में ही कुछ घंटे तक लगातार रहती है तो इसीलिए रात में ही सिंचाई करना ठीक होता है, कई बार तो मैंने जनवरी के महीने में रात के ११ - १२ बजे तक खेत की सिंचाई की है आखिर मैं भी तो एक किसान के घर से ही हूँ |
इस मौसम में बारिश गांव के लिए काफी फायदेमंद होती है, अगर सुबह टहलने निकल जाओ तो आपको कई जगह लोग इसी बारे में बात करते हुए मिल जायेंगे कि अब उस खेत की सिंचाई नहीं करनी पड़ेगी | शहर में २४ घंटे बिजली रहती है और हम लोग AC, कूलर और पंखे के बीच रहते अगर एक मिनट के लिए भी बिजली चली जाती है तो घुटन सी महसूस होने लगती और यहां अपने गावों में लोग बिजली आने पर पहले अपने खेतों की सिंचाई और पानी के बारे में सोचते हैं और रात में बस एक बल्ब जलता रहे इतना काफी है बस यही मतलब होता है गावों में बिजली आने का |
आज सुबह से ही बारिश शुरू हुई तो काफी अच्छा लगा फिर देखते ही देखते पुरे दिन भर बारिश हुई और पूरी रात धीरे-धीरे बारिश होती रही और अगले दिन जाकर कहीं धूप देखने को मिली और बिजली भी, इस मौसम में बारिश और फिर गर्म-गर्म समोसे या पकौड़ी मिल जाये तो मजा आ जाता है, अगर आपको यह चीज घर पर बनवाकर खानी है तो बहनों से थोड़ी विनती या फिर उनको 'फुल्की' खिलाने का वादा तो करना ही पड़ेगा उसके बाद आप जो कहो हाजिर, फिर क्या था मिल गयी उड़द से बनी हुई गर्मागर्म पकौड़ी और साथ में टमाटर और पुदीने की चटनी वो भी शिल पर पिशी हुई, मजा आ गया खाकर और साथ में दही बड़ा भी खाने को मिल गया, मन तो ललचा गया होगा यह पढ़कर तो आपके साथ एक चित्र भी शेयर कर दे रहा हूँ ताकि आंखे भी ललचा जायें देख कर |
गांव में बारिश का मौसम बनते ही चारो तरफ से पक्षियों की आवाजे आना शुरू हो जाती हैं, कहीं कोयल की मीठी धुन तो कहीं मोर की तेज आवाजें और हवा भी जैसे झूम-झूम कर चल रही हो और अपने साथ में पेड़-पौधों को भी उड़ाकर ले जाने की फ़िराक में हो, कड़कड़ाती हुई बिजली की आवाजें और आसमान में बारिश के बादल देख कर गांव में सभी यही कहते बस अब तेजी से बारिश हो जाये, बारिश में किसानों को देख कर ऐसा लगता मानों थके हुए तन और मन को आज आराम मिलेगा और आएगी नींद एक सुकून की..
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